Waqt ka ye parinda ruka hai kahan lyrics
हैलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारी नई पोस्ट पर, आज हम आपके लिए लेकिन आए हैं एक नए और सुपरहिट गाने के लिरिक्स। ये गीत का नाम है “Waqt ka ye parinda ruka hai kahan”। ये गाने का लोगो को बहुत ज्यादा पसंद भी आया। ये गाना “Jaswant Singh Ji” ने लिखा और गया है। आपने भी ये गाना जरुर सुना होगा और आपको पसंद भी बहुत आया होगा, लेकिन आप को जरुर इस गाने के बोल समझने में परेशानी हुई होगी इसलिए आज हम आपके लिए “Waqt ka ye parinda ruka hai kahan” गाने के बोल लिख कर आए हैं।

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Waqt ka ye parinda ruka hai kahan lyrics
वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ
मैं था पागल जो इसको बुलाता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा |
लौटता था मैं जब पाठशाला से घर
अपने हाथों से खाना खिलती थी माँ
रात में अपनी ममता के आँचल तले
थपकीयाँ मुझे दे के सुलाती थी माँ ||
सोच के दिल में एक टीस उठती रही
रात भर दर्द मुझको जागता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा ||
सबकी आँखों में आँसू छलक आए थे
जब रवाना हुआ था शहर के लिए
कुछ ने माँगी दुआएँ की मैं खुश रहूं
कुछ ने मंदिर में जाके जलाए दिए ||
एक दिन मैं बनूंगा बड़ा आदमी
ये तसव्वुर उन्हें गुदगुदाता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा ||
माँ ये लिखती हर बार खत में मुझे
लौट आ मेरे बेटे तुझे है क़सम
तू गया जबसे परदेस बेचैन हूँ
नींद आती नहीं भूख लगती है कम ||
कितना चाहा ना रोऊँ मगर क्या करूँ
खत मेरी माँ का मुझको रुलाता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा ||
उम्मीद करता हू की आपको ये पोस्ट अच्छी लगी होगी और आपको “वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ” गाने के बोल समझ आई होगी और आप इस गाने को समझ गए होंगे। ऐसे ही और गाने के बोल के लिए हमारी वेबसाइट “idlyrics.com” पर जरूर जाएं।
Song Title | Waqt ka ye parinda ruka hai kahan |
Singer | Jaswant Singh |
Music | Various Artists |
Lyrics | Jaswant Singh |
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YouTube Comments | 15.3 Thousand + |
FAQs
Ans. Jaswant Singh
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